Khatu shyam baba
Khatu shyam baba
(1) खाटू नगरी की रेतों में, इक प्रेम कहानी बसती है,
जहाँ हर राही की थकन, बाबा की नज़रों में सिसकती है।
ना धन चाहिए, ना कोई नाम, बस इक झलक मिल जाए,
श्याम का दरबार है ऐसा, जहाँ हर रूह मुस्कुराए।
(2) भीड़ में भी पहचानते हैं, अपने हर एक दीवाने को,
बाबा की नज़रें पढ़ लेती हैं, दिल के हर अफ़साने को।
कभी राधा के रंग में रमे हैं, कभी अर्जुन के रथ पे सवार,
कभी बालक की पीड़ा सुन, बन जाते हैं अवतार।
(3) जो भी आया शरण में इनके, खाली हाथ न लौटा है,
दुखों की राह से मोड़कर, खुशियों का दीप बाँटा है।
खाटू बाबा बस एक नाम नहीं, आस्था की है ये रवानी,
हर भक्त की धड़कन में बसते हैं, ये श्याम की दिव्य कहानी।
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